Rahat Indori Shayari Best Collection

Rahat Indori Shayri - Urdu Shayari in Hindi

Late Rahat Qureshi known as Rahat Indori was born on 1 January 1950 in Indore. This post contain collection of Rahat Indori Shayri - Urdu Shayari in Hindi, Rahat Indori Shayari in Hindi. 
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Rahat Indori Shayri
Rahat Indori had completed his schooling and higher secondary education from Nutan School Indore. He completed his graduation from Islamia Karmia College and post graduation ( M.A in Urdu literature) from Barkatullah University. He had received his PhD in Urdu literature from Bhoj University Madhya Pradesh

Rahat Indori had performed in many of Mushaira & Kavi Sammelan for more than 45 years. He traveled in many of Poetic symposiums throughout the world. He has written songs in many popular hindi films such as Mai Tera Aashiq, Aashiyan, Janam, Khuddar, Yarana, Munna Bhai M.B.B.S., more than 25+ films. He had appeared on T.V shows like The Kapil Sharma Show and Wah! Wah! Kya Baat Hai. In 2016 a book ’Mere Baad’ was released on Rahat Indori from Oxford Bookstore in Connaught Place, Delhi. On 10 August 2020 he had tested positive for COVID-19 and admitted in Aurobindo Hospital. He took his last breath on 11 August 2020 because of Cardiac Arrest

Here are some of Rahat Indori Shayri

रोज़ पत्थर की हिमायत में ग़ज़ल लिखते हैं
रोज़ शीशों से कोई काम निकल पड़ता है

मैंने अपनी खुश्क आँखों से लहू छलका दिया,
इक समंदर कह रहा था मुझको पानी चाहिए।

नए किरदार आते जा रहे हैं
मगर नाटक पुराना चल रहा है

रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है
चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है

दिलों में आग, लबों पर गुलाब रखते हैं सब अपने चहेरों पर, दोहरी नकाब रखते हैं हमें चराग समझ कर भुझा ना पाओगे हम अपने घर में कई आफ़ताब रखते हैं
Rahat Indori Shayri
दिलों में आग, लबों पर गुलाब रखते हैं
सब अपने चहेरों पर, दोहरी नकाब रखते हैं
हमें चराग समझ कर भुझा ना पाओगे
हम अपने घर में कई आफ़ताब रखते हैं

सरहदों पर तनाव हे क्या
ज़रा पता तो करो चुनाव हैं क्या
शहरों में तो बारूदो का मौसम हैं
गाँव चलों अमरूदो का मौसम हैं |

ये सहारा जो न हो तो परेशां हो जाए
मुश्किलें जान ही लेले अगर आसान हो जाए
ये कुछ लोग फरिस्तों से बने फिरते हैं
मेरे हत्थे कभी चढ़ जाये तो इन्सां हो जाए

फैसला जो कुछ भी हो, हमें मंजूर होना चाहिए
जंग हो या इश्क हो, भरपूर होना चाहिए
भूलना भी हैं, जरुरी याद रखने के लिए
पास रहना है, तो थोडा दूर होना चाहिए ।

मज़ा चखा के ही माना हूँ मैं भी दुनिया को समझ रही थी कि ऐसे ही छोड़ दूँगा उसे Rahat Indori,  Urdu Shayari in Hindi,  Rahat Indori Shayri,  Rahat Indori Shayari in Hindi,  Rahat Indori Sher,  Rahat Indori Poetry,  Rahat Indori ki Shayari,  Rahat Indori Poet,  Urdu Shayari in Hindi. || SheroShayariWeb
Rahat Indori Shayri
मज़ा चखा के ही माना हूँ मैं भी दुनिया को
समझ रही थी कि ऐसे ही छोड़ दूँगा उसे

मैं आख़िर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता
यहाँ हर एक मौसम को गुज़र जाने की जल्दी थी

बीमार को मरज़ की दवा देनी चाहिए
मैं पीना चाहता हूँ पिला देनी चाहिए

बोतलें खोल कर तो पी बरसों
आज दिल खोल कर भी पी जाए

आँखों में पानी रखों, होंठो पे चिंगारी रखो जिंदा रहना है तो तरकीबे बहुत सारी रखो राह के पत्थर से बढ के, कुछ नहीं हैं मंजिलें रास्ते आवाज़ देते हैं, सफ़र जारी रखो Rahat Indori,  Urdu Shayari in Hindi,  Rahat Indori Shayri,  Rahat Indori Shayari in Hindi,  Rahat Indori Sher,  Rahat Indori Poetry,  Rahat Indori ki Shayari,  Rahat Indori Poet,  Urdu Shayari in Hindi. || SheroShayariWeb
Rahat Indori Shayri
आँखों में पानी रखों, होंठो पे चिंगारी रखो
जिंदा रहना है तो तरकीबे बहुत सारी रखो
राह के पत्थर से बढ के, कुछ नहीं हैं मंजिलें
रास्ते आवाज़ देते हैं, सफ़र जारी रखो

जुबा तो खोल, नज़र तो मिला,जवाब तो दे
में कितनी बार लुटा हु, मुझे हिसाब तो दे
तेरे बदन की लिखावट में हैं उतार चढाव
में तुझको कैसे पढूंगा, मुझे किताब तो दे

सफ़र की हद है वहां तक की कुछ निशान रहे
चले चलो की जहाँ तक ये आसमान रहे
ये क्या उठाये कदम और आ गयी मंजिल
मज़ा तो तब है के पैरों में कुछ थकान रहे

जा के कोई कह दे, शोलों से चिंगारी से
फूल इस बार खिले हैं बड़ी तैयारी से
बादशाहों से भी फेके हुए सिक्के ना लिए
हमने खैरात भी मांगी है तो खुद्दारी से

इन्तेज़ामात  नए सिरे से संभाले जाएँ जितने कमजर्फ हैं महफ़िल से निकाले जाएँ मेरा घर आग की लपटों में छुपा हैं लेकिन जब मज़ा हैं, तेरे आँगन में उजाला जाएँ | Rahat Indori,  Urdu Shayari in Hindi,  Rahat Indori Shayri,  Rahat Indori Shayari in Hindi,  Rahat Indori Sher,  Rahat Indori Poetry,  Rahat Indori ki Shayari,  Rahat Indori Poet,  Urdu Shayari in Hindi. || SheroShayariWeb
Rahat Indori Shayri
इन्तेज़ामात  नए सिरे से संभाले जाएँ
जितने कमजर्फ हैं महफ़िल से निकाले जाएँ
मेरा घर आग की लपटों में छुपा हैं लेकिन
जब मज़ा हैं, तेरे आँगन में उजाला जाएँ

बन के इक हादसा बाज़ार में आ जाएगा
जो नहीं होगा वो अखबार में आ जाएगा
चोर उचक्कों की करो कद्र, की मालूम नहीं
कौन, कब, कौन सी सरकार में आ जाएगा

नयी हवाओं की सोहबत बिगाड़ देती हैं
कबूतरों को खुली छत बिगाड़ देती हैं
जो जुर्म करते है इतने बुरे नहीं होते
सज़ा न देके अदालत बिगाड़ देती हैं

साँसों की सीडियों से उतर आई जिंदगी
बुझते हुए दिए की तरह, जल रहे हैं हम
उम्रों की धुप, जिस्म का दरिया सुखा गयी
हैं हम भी आफताब, मगर ढल रहे हैं हम

बोतलें खोल कर तो पी बरसों आज दिल खोल कर भी पी जाए Rahat Indori,  Urdu Shayari in Hindi,  Rahat Indori Shayri,  Rahat Indori Shayari in Hindi,  Rahat Indori Sher,  Rahat Indori Poetry,  Rahat Indori ki Shayari,  Rahat Indori Poet,  Urdu Shayari in Hindi. || SheroShayariWeb
Rahat Indori Shayri
बोतलें खोल कर तो पी बरसों
आज दिल खोल कर भी पी जाए

वो चाहता था कि कासा ख़रीद ले मेरा
मैं उस के ताज की क़ीमत लगा के लौट आया

एक ही नद्दी के हैं ये दो किनारे दोस्तो
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो

ये हादसा तो किसी दिन गुजरने वाला था
में बच भी जाता तो मरने वाला था
मेरा नसीब मेरे हाथ कट गए
वरना में तेरी मांग में सिन्दूर भरने वाला था

जवान आँखों के जुगनू चमक रहे होंगे अब अपने गाँव में अमरुद पक रहे होंगे भुलादे मुझको मगर, मेरी उंगलियों के निशान तेरे बदन पे अभी तक चमक रहे होंगे Rahat Indori,  Urdu Shayari in Hindi,  Rahat Indori Shayri,  Rahat Indori Shayari in Hindi,  Rahat Indori Sher,  Rahat Indori Poetry,  Rahat Indori ki Shayari,  Rahat Indori Poet,  Urdu Shayari in Hindi. || SheroShayariWeb
Rahat Indori Shayri
जवान आँखों के जुगनू चमक रहे होंगे
अब अपने गाँव में अमरुद पक रहे होंगे 
भुलादे मुझको मगर, मेरी उंगलियों के निशान
तेरे बदन पे अभी तक चमक रहे होंगे

दोस्ती जब किसी से की जाये
दुश्मनों की भी राय ली जाए
बोतलें खोल के तो पि बरसों
आज दिल खोल के पि जाए

फैसला जो कुछ भी हो, हमें मंजूर होना चाहिए
जंग हो या इश्क हो, भरपूर होना चाहिए
भूलना भी हैं, जरुरी याद रखने के लिए
पास रहना है, तो थोडा दूर होना चाहिए ।

मैं आ कर दुश्मनों में बस गया हूँ यहाँ हमदर्द हैं दो-चार मेरे | Rahat Indori,  Urdu Shayari in Hindi,  Rahat Indori Shayri,  Rahat Indori Shayari in Hindi,  Rahat Indori Sher,  Rahat Indori Poetry,  Rahat Indori ki Shayari,  Rahat Indori Poet,  Urdu Shayari in Hindi. || Sheroshayariweb
Rahat Indori Shayri
मैं आ कर दुश्मनों में बस गया हूँ
यहाँ हमदर्द हैं दो-चार मेरे ।

शहर क्या देखें कि हर मंज़र में जाले पड़ गए
ऐसी गर्मी है कि पीले फूल काले पड़ गए

आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो

हर एक हर्फ़ का अंदाज़ बदल रखा हैं आज से हमने तेरा नाम ग़ज़ल रखा हैं मैंने शाहों की मोहब्बत का भरम तोड़ दिया मेरे कमरे में भी एक “ताजमहल” रखा हैं | Rahat Indori,  Urdu Shayari in Hindi,  Rahat Indori Shayri,  Rahat Indori Shayari in Hindi,  Rahat Indori Sher,  Rahat Indori Poetry,  Rahat Indori ki Shayari,  Rahat Indori Poet,  Urdu Shayari in Hindi. || Sheroshayariweb
Rahat Indori Shayri
हर एक हर्फ़ का अंदाज़ बदल रखा हैं
आज से हमने तेरा नाम ग़ज़ल रखा हैं
मैंने शाहों की मोहब्बत का भरम तोड़ दिया
मेरे कमरे में भी एक “ताजमहल” रखा हैं ।

रोज़ तारों को नुमाइश में खलल पड़ता हैं
चाँद पागल हैं अन्धेरें में निकल पड़ता हैं
उसकी याद आई हैं सांसों, जरा धीरे चलो
धडकनों से भी इबादत में खलल पड़ता हैं ।

अब जो बाज़ार में रखे हो तो हैरत क्या है
जो भी देखेगा वो पूछेगा की कीमत क्या है
एक ही बर्थ पे दो साये सफर करते रहे
मैंने कल रात यह जाना है कि जन्नत क्या है

आग के पास कभी मोम को लाकर देखूं
हो इज़ाज़त तो तुझे हाथ लगाकर देखूं
दिल का मंदिर बड़ा वीरान नज़र आता है
सोचता हूँ तेरी तस्वीर लगाकर देखूं।

अब हम मकान में ताला लगाने वाले हैं पता चला हैं की मेहमान आने वाले हैं ।| Rahat Indori,  Urdu Shayari in Hindi,  Rahat Indori Shayri,  Rahat Indori Shayari in Hindi,  Rahat Indori Sher,  Rahat Indori Poetry,  Rahat Indori ki Shayari,  Rahat Indori Poet,  Urdu Shayari in Hindi. || SheroShayariWeb
Rahat Indori Shayri
अब हम मकान में ताला लगाने वाले हैं
पता चला हैं की मेहमान आने वाले हैं ।

सूरज सितारे चाँद मिरे सात में रहे
जब तक तुम्हारे हात मिरे हात में रहे

दोस्ती जब किसी से की जाए
दुश्मनों की भी राय ली जाए

अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है
उम्र गुज़री है तिरे शहर में आते जाते

जवानिओं में जवानी को धुल करते हैं जो लोग भूल नहीं करते, भूल करते हैं अगर अनारकली हैं सबब बगावत का सलीम हम तेरी शर्ते कबूल करते हैं | Rahat Indori,  Urdu Shayari in Hindi,  Rahat Indori Shayri,  Rahat Indori Shayari in Hindi,  Rahat Indori Sher,  Rahat Indori Poetry,  Rahat Indori ki Shayari,  Rahat Indori Poet,  Urdu Shayari in Hindi. || SheroShayariWeb
Rahat Indori Shayri
जवानिओं में जवानी को धुल करते हैं
जो लोग भूल नहीं करते, भूल करते हैं
अगर अनारकली हैं सबब बगावत का
सलीम हम तेरी शर्ते कबूल करते हैं ।

रोज़ तारों को नुमाइश में खलल पड़ता हैं
चाँद पागल हैं अन्धेरें में निकल पड़ता हैं
उसकी याद आई हैं सांसों, जरा धीरे चलो
धडकनों से भी इबादत में खलल पड़ता हैं

लवे दीयों की हवा में उछालते रहना
गुलो के रंग पे तेजाब डालते रहना
में नूर बन के ज़माने में फ़ैल जाऊँगा
तुम आफताब में कीड़े निकालते रहना

ख़याल था कि ये पथराव रोक दें चल कर जो होश आया तो देखा लहू लहू हम थे | Rahat Indori,  Urdu Shayari in Hindi,  Rahat Indori Shayri,  Rahat Indori Shayari in Hindi,  Rahat Indori Sher,  Rahat Indori Poetry,  Rahat Indori ki Shayari,  Rahat Indori Poet,  Urdu Shayari in Hindi. || SheroShayariWeb
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ख़याल था कि ये पथराव रोक दें चल कर
जो होश आया तो देखा लहू लहू हम थे

बीमार को मरज़ की दवा देनी चाहिए
मैं पीना चाहता हूँ पिला देनी चाहिए ।

इश्क ने गूथें थे जो गजरे नुकीले हो गए
तेरे हाथों में तो ये कंगन भी ढीले हो गए ।

न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा | Rahat Indori,  Urdu Shayari in Hindi,  Rahat Indori Shayri,  Rahat Indori Shayari in Hindi,  Rahat Indori Sher,  Rahat Indori Poetry,  Rahat Indori ki Shayari,  Rahat Indori Poet,  Urdu Shayari in Hindi. || SheroShayariWeb
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न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा
हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा

ऐसी सर्दी है कि सूरज भी दुहाई मांगे
जो हो परदेश में वो किससे रजाई मांगे

राज़ जो कुछ हो इशारों में बता भी देना
हाथ जब उससे मिलाना तो दबा भी देना

चलते फिरते हुए मेहताब  दिखाएँगे तुम्हे
हमसे मिलना कभी पंजाब दिखाएँगे तुम्हे

नए सफ़र का नया इंतज़ाम कह देंगे हवा को धुप, चरागों को शाम कह देंगे किसी से हाथ भी छुप कर मिलाइए वरना इसे भी मौलवी साहब हराम कह देंगे । | Rahat Indori,  Urdu Shayari in Hindi,  Rahat Indori Shayri,  Rahat Indori Shayari in Hindi,  Rahat Indori Sher,  Rahat Indori Poetry,  Rahat Indori ki Shayari,  Rahat Indori Poet,  Urdu Shayari in Hindi. || SheroShayariWeb
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नए सफ़र का नया इंतज़ाम कह देंगे
हवा को धुप, चरागों को शाम कह देंगे
किसी से हाथ भी छुप कर मिलाइए
वरना इसे भी मौलवी साहब हराम कह देंगे

इश्क में पीट के आने के लिए काफी हूँ
मैं निहत्था ही ज़माने के लिए काफी हूँ
हर हकीकत को मेरी, खाक समझने वाले
मैं तेरी नींद उड़ाने के लिए काफी हूँ
एक अख़बार हूँ, औकात ही क्या मेरी
मगर शहर में आग लगाने के लिए काफी हूँ

इस से पहले की हवा शोर मचाने लग जाए
मेरे “अल्लाह” मेरी ख़ाक ठिकाने लग जाए
घेरे रहते हैं खाली ख्वाब मेरी आँखों को
काश कुछ  देर मुझे नींद भी आने लग जाए
साल भर ईद का रास्ता नहीं देखा जाता
वो गले मुझ से किसी और बहाने लग जाए

दोस्ती जब किसी से की जाए दुश्मनों की भी राय ली जाए । | Rahat Indori,  Urdu Shayari in Hindi,  Rahat Indori Shayri,  Rahat Indori Shayari in Hindi,  Rahat Indori Sher,  Rahat Indori Poetry,  Rahat Indori ki Shayari,  Rahat Indori Poet,  Urdu Shayari in Hindi. || SheroShayariWeb
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दोस्ती जब किसी से की जाए
दुश्मनों की भी राय ली जाए ।

जवानिओं में जवानी को धुल करते हैं
जो लोग भूल नहीं करते, भूल करते हैं

मैं पर्बतों से लड़ता रहा और चंद लोग
गीली ज़मीन खोद के फ़रहाद हो गए

अगर अनारकली हैं सबब बगावत का
सलीम हम तेरी शर्ते कबूल करते हैं

एक ही नद्दी के हैं ये दो किनारे दोस्तो दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो | Rahat Indori,  Urdu Shayari in Hindi,  Rahat Indori Shayri,  Rahat Indori Shayari in Hindi,  Rahat Indori Sher,  Rahat Indori Poetry,  Rahat Indori ki Shayari,  Rahat Indori Poet,  Urdu Shayari in Hindi. || SheroShayariWeb
Rahat Indori Shayri
एक ही नद्दी के हैं ये दो किनारे दोस्तो
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो ।

घर के बाहर ढूँढता रहता हूँ दुनिया
घर के अंदर दुनिया-दारी रहती है

जवान आँखों के जुगनू चमक रहे होंगे
अब अपने गाँव में अमरुद पक रहे होंगे
भुलादे मुझको मगर, मेरी उंगलियों के निशान
तेरे बदन पे अभी तक चमक रहे होंगे

इस दुनिया ने मेरी वफ़ा का कितना ऊँचा  मोल दिया
बातों के तेजाब में, मेरे मन का अमृत घोल दिया
जब भी कोई इनाम मिला हैं, मेरा नाम तक भूल गए
जब भी कोई इलज़ाम लगा हैं, मुझ पर लाकर ढोल दिया

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